बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 इतिहास बीए सेमेस्टर-1 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर
(Rise of Maurya Dynasty)
प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
मौर्य साम्राज्य के जानने के स्रोत क्या है?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मौर्य कौन थे? व्याख्या कीजिए।
2. मौर्य वंश का क्या महत्व है?
3. चन्द्रगुप्त कौन था?
4. चाणक्य के 'अर्थशास्त्र पर टिप्पणी लिखिए।
5. मेगस्थनीज की 'इण्डिका' के बारे में आप क्या जानते हैं?
6. मौर्य वंश को जानने के प्रमुख स्रोतों को बताइये।
उत्तर-
मौर्य कौन थे? सिकन्दर के लौटते ही भारत के राजनीतिक आकाश में एक नये नक्षत्र का उदय हुआ जिसने अपने तेज से अन्य सारे नक्षत्रों को मलीन कर दिया था. वह था मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य। स्पूनर के अनुसार मौर्य पारसीक थे क्योंकि अनेक मौर्यकालीन प्रथाएं पारसीक प्रथाओं से मिलती-जुलती हैं। ब्राह्मण साहित्य में विष्णुपुराण, युद्धारक्षक कथासरित्सागर, वृहत्कथामंजरी के अनुसार मौर्य शूद्र थे। चन्द्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की थी। उसने अपने गुरु आचार्य चाणक्य की सहायता से मगध साम्राज्य से नन्द वंश को समाप्त कर पाटलिपुत्र में मौर्य साम्राज्य के आधिपत्य को स्थापित किया और गंगा के पश्चिम से विभिन्न राज्यों की विजय कर हिन्दु कुश पर्वतमाला तक मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया।
बौद्ध परम्पराओं के अनुसार मौर्य क्षत्रिय थे तथा गोरखपुर क्षेत्र के निवासी थे। ग्रीक लेखक जस्टिन तथा जैन परम्पराओं के अनुसार चन्द गुप्त निम्न जाति का था। महावंश टीका के अनुसार वह क्षत्रिय था। चाणक्य के अर्थशास्त्र में लिखा है कि वह शूद्र नन्द वंश का विनाश करना चाहता था इसलिए वह स्वयं एक शूद्र को शासक नहीं बना सकता था अत: 'मौरेय' नामक क्षत्रिय कुल का था। डा. राधा कुमुद मुकर्जी भी इसका समर्थन करते हैं।
मौर्य वंश का महत्व - मौर्य साम्राज्य का भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है। डा. आर. के. मुकर्जी के अनुसार मौर्य साम्राज्य का आगमन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है। जिन कठिन परिस्थितियों में इस वंश ने अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया. उस कारण इसका स्थान और ऊँचा उठ जाता है। 327-325 ई. पूर्व भारत का पश्चिमी भाग सिकन्दर के हाथ में आ चुका था। इस कारण इस वंश के लिए सुदृढ़ शासन को स्थापित करना भारी हिम्मत का काम था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि मौर्य वंश के उदय से भारत में छोटे-छोटे राज्यो का पराभव हो गया और एक केन्द्रीय राज्य की स्थापना हुई जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र बनी, जिसने सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांधकर भारतीय ख्याति को दूर-दूर तक फैला दिया। डा. पी. ए. स्मिथ के अनुसार, "मौर्यों के आगमन के साथ इतिहास के क्षेत्र में भी ज्वलन्त किरणें फैलने लगती हैं, इतिहास का कालक्रम भी स्पष्ट होने लगा, छोटे-छोटे राज्य समाप्त होने से केन्द्रीय राज्य की स्थापना को बल मिला। इसके राज्य के प्रमुख को राजा न कहकर सम्राट कहा जाने लगा। इन सम्राटों का व्यक्तित्व महान था। मौयों ने सारे संसार में फैलने वाले धर्मों की सहायता की. जिनका प्रभाव आज तक अनुभव किया जा रहा है। मौर्य वंश के कारण ही अन्य देशों से सम्बन्ध जुड़े।"
मौर्य वंश के पूर्व की तिथियाँ विवादास्पद थी परन्तु मौर्य वंश के बाद ऐसी स्थिति नहीं रही। चन्द्रगुप्त मौर्य और यूनानी सम्राट सेल्युकस का समकालीन होना और यूनानी साहित्य के सेन्डीकेट्स से उसका साम्राज्य इस वंश की तिथिक्रम को स्थिर कर देता है। इसी प्रकार अशोक सेल्यूकस के पोते सीरिया के शासक ऐटपोकल का समकालीन था। अतः इस प्रकार तिथि निर्धारण में कोई कठिनाई नहीं उत्पन्न होती। इस प्रकार भारतीय इतिहास में इस वंश का प्रत्येक ओर से महत्व है।
चन्द्रगुप्त मौर्य - चन्द्रगुप्त मौर्य के वंश के बारे में प्राचीन साहित्य में अनेक मत पाये जाते हैं जो निम्नलिखित हैं -
विष्णु पुराण के आधार पर - विष्णुपुराण के अनुसार, 'ब्राह्मण कौटिल्य नन्द वंश का नाश करेगा तब मौर्यपूरवी का उपयोग करेंगे। विष्णुपुराण के टीकाकार श्रीधर ने उत्पन' शब्द की व्याख्या इस प्रकार की है कि नन्द वंश के अन्तिम राजा 'धननन्द' की दो पत्नियाँ थी। उनमे से एक पत्नी मुरा थी जो जाति से शूद्र थी। चन्द्रगुप्त मुरा पुत्र होने के कारण मौर्य कहलाया तथा एक पौराणिक अनुश्रुति के आधार पर चन्द्रगुप्त मौर्य नन्द का पुत्र था और उसकी माता का नाम मुरा था।
विशाखदत्त-कृत मुद्राराक्षस के आधार पर - मुद्राराक्षस के टीकाकार झुण्डिराज के अनुसार अपरिमित धन वाले धननन्द का मगध पर अधिकार था। उसकी दो पत्नियाँ थीं- सुनन्दा एवं मुरा। मुरा शुद्रा होने के बावजूद अत्यन्त रूपवती, शीलवती थी जिसे धननन्द बहुत प्यार करता था। एक दिन एक तपस्वी राजा के दरबार में आया और राजा नन्द ने उसके पाद प्रक्षालन किया तथा उसके चरणोदक को अपनी रानी मुरा को दिया। रानी मुरा ने अत्यन्त श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ चरणोदक को ग्रहण किया। फलस्वरूप कुछ समय पश्चात् मुरा के गर्भ से एक तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ वही चन्द्रगुप्त मौर्य कहलाया।
सोमदेव-कृत कथासरित्सागर के आधार पर - कथासरित्सागर के आधार पर चन्द्रगुप्त मौर्य नन्द राजा का ही पुत्र था, वही पाटलिपुत्र का वास्तविक अधिकारी बना। वह दासी पुत्र न होकर मुरा का पुत्र था जो मगध की राजरानी थी। कथासरित्सागर चन्द्रगुप्त और नन्द की कथा में अनेक असम्भव बातें विद्यमान हैं। परकाया प्रवेश जैसी कहानिया पर विश्वास नहीं किया जाता है।
महावंश के आधार पर - महावश में यह लिखा है कि कालाशोक के 10 पुत्र थे। इन 10 पुत्रो ने 22 वर्ष राज्य किया, इसके बाद 9 नन्दों ने 22 वर्ष तक राज्य किया। इन नौ नन्दो में नवे नन्द का नाम घननन्द था जिसे चाणक्य ने अपने क्रोध द्वारा विनष्ट किया और मौरिय क्षत्रियों के कुल में उत्पन्न चन्द्रगुप्त को राजा बनाया। अतः स्पष्ट है कि चन्द्रगुप्त का जन्म मौरिय क्षत्रियों के वंश में हुआ।
जैन ग्रन्थों के आधार पर - जैन ग्रन्थों में नन्दो को वैश्य का पुत्र कहा गया है। इन्हीं ग्रन्थों में चन्द्रगुप्त को मौरों को पालने वाले मुखिया की बेटी का पुत्र कहा गया है। जैन ग्रन्थ भद्रीवा टीका में भी राजा नन्द के मोर पासगों के ग्राम और उसी वंश में उत्पन्न होने का उल्लेख है। सम्भवत मयूर पोषक नामक जैन साहित्य में लिखा है कि उत्तरी बिहार मोरिय क्षत्रियों का एक गणराज्य था, जिसकी राजधानी पिप्पलिवन थी। शायद यह गणराज्य अन्य जनपदों की भाति मगध साम्राज्य से अपनी रक्षा न कर सका। जिस समय पिप्पलिवन नष्ट किया गया उस समय तत्कालीन पिप्पलिवन के राजा की स्त्री गर्भवती थी जो अपने भाइयों के साथ जाकर पाटलिपुत्र में रहने लगी, वहीं पर उसने चन्द्रगुप्त को जन्म दिया जिसने आगे चलकर चाणक्य की सहायता से राज्य प्राप्त कर लिया था।
चन्द्रगुप्त और उसके वंशज मौर्य या मोरिय कहलाये जो क्षत्रिय वंश में उत्पन्न हुए थे, क्योंकि बौद्ध जनश्रुति कथा, पुराण, सरित्सागर और मुद्राराक्षस की तुलना में अधिक प्रामाणिक व सत्य प्रतीत होता है। दिव्यावदान और चन्द्रगुप्त का पुत्र बिन्दुसार को क्षत्रिय बताया गया है। इसी प्रकार इसी में अशोक में अपनी अन्यतम रानी तिष्यरक्षिता को यह कहा था - "देवि मैं क्षत्रिय हूँ, मैं प्याज कैसे खा सकता हूँ।" माइनर के एक लेख में चन्द्रगुप्त को क्षत्रिय कहा गया है। इन सभी आधारों पर यह स्वीकार करना होगा कि मौर्य क्षत्रिय थे और उनका वंश पिप्पलिवन के मौरियगण के साथ सम्बन्ध रखता था। ग्रीक लेखको ने भी मोरई नामक जाति का उल्लेख किया है। अतः कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चन्द्रगुप्त, मोरपालको गड़रियों और शिकारियों के बीच पला हो। चन्द्रगुप्त के नेतृत्व में मौर्य वंश अवश्य प्रकाशित हुआ।
मौर्यों के इतिहास जानने के साधन
मौर्य वंश के इतिहास को जानने के तत्कालीन कई ऐतिहासिक, धार्मिक नाटक तथा विदेशी विवरण प्राप्त होते है जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-
चाणक्य का अर्थशास्त्र - इसे कौटिल्य का अर्थशास्त्र भी. कहते हैं, इस ग्रन्थ को 15 भागों में और 80 उपभागों में बांटा गया है। इसमें लगभग 6000 श्लोक है। इस पुस्तक में चन्द्रगुप्त के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है। अर्थशास्त्र के अन्तर्गत दर्शनशास्त्र, राज्यशास्त्र, विदेशनीति तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के बारे में तथा राजपूतों एवं गुप्तचरों के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है। शामशास्त्री, वी. सी. लॉ. बी. ए. स्मिथ और डा. के. पी. जायसवाल ने कौटिल्य कृत 'अर्थशास्त्र' को चन्द्रगुप्त मौर्य के महामन्त्री द्वारा लिखा गया बताया है और अन्य विद्वान ए. वी. कीथ. भण्डारकर इस पुस्तक की रचना को अत्यन्त प्राचीन अर्थात् लगभग ईसा की प्रारम्भिक सदी का मानते हैं। परन्तु अर्थशास्त्र के अध्ययन से ज्ञात होता है कि इसकी रचना में अधिकांशतः तत्कालीन स्थितियाँ ही दृष्टिगोचर होती हैं। अतः इसकी रचना इसी समय हुई, परन्तु बाद में शायद कुछ परिवर्तन हुआ है।
मेगस्थनीज की इण्डिका - चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी सम्राट सेल्यूकस ने एक राजदूत भेजा था जो पाटलिपुत्र में 18 वर्ष रहा और उसने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं धार्मिक ग्रन्थो में स्थानीय स्वशासन का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है परन्तु दुर्भाग्यवश यह पुस्तक उपलब्ध नहीं है। इसके कुछ उद्धरण यूनानी लेखकों की पुस्तकों में प्राप्त होते हैं। यह मौर्य वंश के इतिहास की जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है। डा. वी. ए. स्मिथ के अनुसार, "कुछ भी हो मेगस्थनीज की लेखनी विश्वसनीय है। उसने जो कुछ देखा वही लिखा, उसके द्वारा लिखित चन्द्रगुप्त का सामाजिक और सैनिक प्रशासन विश्वसनीय है। यद्यपि मेगस्थनीज की पुस्तक पूर्ण रूप से न मिलकर बल्कि कुछ अंशो में मिली है फिर भी वे उद्धरण बड़े महत्वपूर्ण है। इन उद्धरणों की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल तथा तत्कालीन संस्थाओं का सूक्ष्म दर्शन किया जा सकता है। मेगस्थनीज ने जितनी ऐतिहासिक सामग्री प्रदान की उतनी अन्य किसी इतिहासकार ने रानी एलिजाबेथ के समकालीन अकबर के काल तक 'नहीं की।
अशोक के अभिलेख - सम्राट अशोक के शिलालेखों द्वारा मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी उपलब्ध होती है। इन अभिलेखों मे सम्राज्य विस्तार, धर्म, शासन प्रणाली तथा अन्य विषयों पर विस्तृत जानकारी सुलभ होती है।
विशाखदत्त का मुद्राराक्षस - इस ग्रन्थ से यह ज्ञात होता है कि किस प्रकार चन्द्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य की सहायता से नन्द वंश का विनाश किया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। चन्द्रगुप्त के प्रारम्भिक इतिहास पर भी प्रकाश पड़ता है। इसके साथ ही साथ इसी ग्रन्थ से तात्कालिक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन पर भी प्रकाश पड़ता है।
विदेशी लेखक - मौर्य साम्राज्य के इतिहास के सम्बन्ध में विदेशी लेखकों की ऐतिहासिक सामग्री अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उनमें प्लूटार्क, जस्टिन, जियोडोरस, एरियन, टिलनी आदि प्रमुख हैं।
अन्य स्रोत- महावंश, दीपवंश, पुराण, तिब्बती एवं नेपाली ग्रन्थ तथा जैन धर्म के ग्रन्थों से चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में जानकारी मिलती है।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
- प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
- प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
- प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
- प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
- प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
- प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
- प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
- प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
- प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
- प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
- प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
- प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
- प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
- प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे?
- प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
- प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
- प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।